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Wednesday, July 29, 2009
तस्वीर
एक रंग से
तस्वीर नहीं बनती,
हर तस्वीर में
सब रंग भी
नहीं समाते।
पर निरंतर
रंग बदलती
इस प्रकृति की तरह
खुले प्रांगण में
मुझे सीखना है
ग्रहण करना
दुःख और सुख
दोनों को एक ही
रस, रंग आमंत्रण से ।
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